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वायदा / ओमप्रकाश सारस्वत

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ज़िन्दगी !
जब तक चलोगी तुम
तुम्हारा साथ देंगे

और जाओ थक
या इस अति भीड़ में
तुम भूल जाओगे पथ
तो हिम्मत हारना न

क्योंकि इस पथ पर
थके जीवन का साथी ;
मौत भी है कि

इसलिए
इस मृत्यु के बढ़ते
निरन्तर कारवाँ के संग आ जाना

शुभे!
हम वायदा करते हैं
इन जानलेवा घाटियों के
हर पड़ाव पर ही

हम कर रहें होगे
तेरा फिर इंतज़ार