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सुनी-सुनाई / केशव

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हम सुनी सुनाई पर
यकीन नहीं करते
कहते हैं सभी फिर भी
यकीन करते हैं
सुनी-सुनाई पर ही
सुन-सुनकर
अनसुना करना
हमारी आदत है
क्या इसीलिए होते हैं कान !

कान न होते
तो भी क्या सुनते हम
सुनकर कैसे
अनसुना करते हम।