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आने वाले दिनों में क्या होगा.. / श्रद्धा जैन
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किसने जाना कि कल है क्या होगा
कुरबतें या के फ़ासला होगा
आज रोया है वो तो रोने दो
हो न हो ख़ुद से वो मिला होगा
चाँद जो पल में बन गया मिट्टी
रात दिन किस तरह जला होगा
ज़ुल्म करता नहीं वो बन्दों पर
आज दुनिया का रब जुदा होगा
यूँ न ढूँढों यहाँ वफ़ा "श्रद्धा"