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बोध / दिविक रमेश
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ओ मेरे युग-देवता!
क्षमा करना
यदि मैं प्रकट करता हूँ
तुम्हारे प्रति
अनास्था ।
क्योंकि
मेरे युग-राक्षस ने
तुम्हें विजित कर
सिखा दिया है जीना ।
अन्यथा मैं भी
बन जाता एक कड़ी
आत्महत्याओं की
श्रंखला की ।