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लगातार घट रही है घटना / राजा खुगशाल

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ग़ुलामी

आज़ादी तक

घटती रही

हमारे ऊपर

आज़ादी

ग़ुलामी की तरह

आज भी घट रही है


बहुत बड़ी घटना है

आज़ादी

जिसके संवैधानिक

इतिहास में

धीरे-धीरे

लुप्त होते रहे हम ।

या जीवित रहे छोटी-छोटी घटनाओं में ।


सबके साथ चिपके

सन्नाटे को चीरना

पेड़ कटने के

बाद की घटना है ।


सुनसान में

संवाद करती

नदी को बाँधना

गाँवों के बेघर होने के

बाद की घटना है ।


घटनाओं के नीचे

कसमसा रही

घटनाओं के

हहराते दर्द को

शब्दों में समेटना

अनुभव के बाद की

घटना है ।