भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दोस्त के लिए / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:51, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह मेरी कविताओं का चेहरा है ।

गाँव की पगडंडियों

शहर के फुटपाथों की

धूल धांगता हुआ

भीड़ में मुक्ति का सपना है ।


अनुभव की कद-काठी में

भविष्य का ज्वलन्त वाक्य ।


हज़ारों टन आकाश का बोझ

बौना नहीं बना सका जिसे

वह टूटता है

अटूटता के क्रम में

ऊसर में

क्रान्ति-बीज़ फूटता है

आवाज़ों और इरादों के

असंख्य कल्लों में ।


भादों की वर्षा

जेठ के भप्पारों

और पूस के सिसकारों को

दृढ़ता से जज़्ब करता हुआ

वर्तमान के अन्धकूप में

उजाले का उमगाव


यह विपन्न आशाओं का अंकुरण है ।