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नहीं अब शेष स्पर्धा उड़ानों में / जहीर कुरैशी
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नहीं अब शेष स्पर्धा उड़ानों में
पतंगें उड़ रही हैं वायुयानों में
बयानों पर अधिक विश्वास मत करना
बहुत कम तथ्य होता है बयानों में
भला अब कौन अस्मत को बचाएगा
दरोगा कर रहे हैं रेप थानों में
जो हीरे हार में जड़कर चमकते हैं
कभी देखा भी है उनको खदानों में?
पलायन गाँव से भी करगए तो क्या
शहर के गुण नहीं आए किसानों में
इसे तुम लोग कैसे कैद कर लोगे
ये खुश्बू है उड़ेगी आसमानों में
हुआ था वृक्ष पहले या कि पहले बीज
बहस अब तक छिड़ी है बुद्धिमानों में