भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपने / रंजना भाटिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शबनम के कुछ कतरे
यादों के जाल में

धीरे से
चुपके से
बस यूँ ही

आँखो में
उतर आते हैं

कभी ना सच होने के लिए !