भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपने / रंजना भाटिया
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:23, 12 फ़रवरी 2009 का अवतरण
शबनम के कुछ कतरे
यादों के जाल में
धीरे से
चुपके से
बस यूँ ही
आँखों में
उतर आते हैं
कभी ना सच होने के लिए !