मैंने अपने गानों को जन्म दिया
एकदम चुपचाप-अकेले,
पर फिर भी एक दिन
उन सबके कण्ठ खुले,
और एक सुबह
- पंख उगे पक्षियों की तरह
वे रोके न रुके
उड़ निकले;
कुछ ने आशीर्वाद दिया
कुछ मुस्कराए;
और
मेरी आँखों से
ख़ुशी के - डर के
दो आँसू बह निकले।
मैंने अपने गानों को जन्म दिया
एकदम चुपचाप-अकेले,
पर फिर भी एक दिन
उन सबके कण्ठ खुले,
और एक सुबह
- पंख उगे पक्षियों की तरह
वे रोके न रुके
उड़ निकले;
कुछ ने आशीर्वाद दिया
कुछ मुस्कराए;
और
मेरी आँखों से
ख़ुशी के - डर के
दो आँसू बह निकले।