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माँ हाटकेश्वरी-एक / अवतार एनगिल

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माँ के कई बार पुकारने पर भी
धृष्ट बालक
जब पास नहीं फटकता
तब वह
कुपित हो
समस्त प्राणों से
हवा के साथ-साथ
बहती हुई आती है
और बालक का कान पकड़कर उमेठते हुए
उसे प्राँगण तक लाती है
अनादि शिला पर बिठाती है
और
वात्सल्य छिपाते हुई
गरजती है_
ठीक से सबक याद करो!