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 सप्ताह की कविता

  शीर्षक:मांझी ! न बजाओ बंशी
  रचनाकार: केदारनाथ अग्रवाल

मांझी ! न बजाओ बंशी मेरा मन डोलता 

मेरा मन डोलता है जैसे जल डोलता 

जल का जहाज जैसे पल-पल डोलता 

मांझी ! न बजाओ बंशी मेरा प्रन टूटता 

मेरा प्रन टूटता है जैसे तृन टूटता 

तृन का निवास जैसे बन-बन टूटता 

मांझी ! न बजाओ बंशी मेरा तन झूमता 

मेरा तन झूमता है तेरा तन झूमता 

मेरा तन तेरा तन एक बन झूमता ।