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 एक काव्य मोती

इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का, अदना सा फ़साना है।
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है॥

कविता कोश में जिगर मुरादाबादी