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सादा-दिल लोगों का क्या / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

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सादा-दिल लोगों का क्या
उनका दर्ज़ा-रुतबा क्या

कहिये तो किससे कहिये
सच क्या था और चर्चा क्या

वो तो कुछ ग़रज़े कहिये
वर्ना कोई रिश्ता क्या

हमने देखा परखा है
रिश्तों का पैमाना क्या

तुम किस जानिब थे ‘परवेज़’
और हवा का का रुख़ था क्या