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बगिया / सौरभ
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बगिया में मेरी
फूल हैं, पौधे हैं
पत्तियाँ हैं संसार की
पर माटी में गहरी पैठ गई जड़ें
जो मिल गई हैं अँदर बहती धारा में
उनकी कोई खबर नहीं
वह सामने नहीं है किसी की आँख के।