भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पतझड़ का पेड़ / रेखा
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:46, 1 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा |संग्रह=अपने हिस्से की धूप / रेखा }} <poem> तुमन...)
तुमने जब-तब
पतझड़ के ठूँठ पेड़ को देखकर
मातमी गीत गाया है
पर मैं
जब भी गुज़री हूँ
करीब से
अनायास मैंने
श्रद्धा से सिर झुकाया है
पतझड़ का पेड़
मेरे लिए
एक विगत-रात संन्यासी है
अंतर्मुखी
ध्यानस्थ
हर्ष की हरियाली
विषाद का पीलापन
अपनी रंगहीन काया में
आत्मसात किये
एक पुँज है
यह तापस
कल्पनातीत संभावनाओं का
1972