भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँचा:KKPoemOfTheWeek

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: कोई हँस रहा है कोई रो रहा है
  रचनाकार: अकबर इलाहाबादी

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है
कोई पा रहा है कोई खो रहा है

कोई ताक में है किसी को है ग़फ़्लत
कोई जागता है कोई सो रहा है

कहीँ नाउमीदी ने बिजली गिराई
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है

इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'
यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा है

'''शब्दार्थ :
ग़फ़्लत=भूल