भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उभय तर्क / कैलाश वाजपेयी
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:06, 9 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश वाजपेयी |संग्रह=सूफ़ीनामा / कैलाश वाजपेय...)
कमज़ोर होने
का एक ही लाभ है
मार खूब खाने को
मिलती है
देखा नहीं सूखी
घास को
कितने धड़ल्ले
से जलती है.