भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सत्य की नग्नता / एल्युआर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


            "मैं उसे जानता हूँ बहुत खूब"

निराशा के पंख नहीं होते
न होता है प्यार का चेहरा कोई
न वे बात करते हैं
न मैं हिलता हूँ
न देखता हूँ उन्हें
न बातें ही करता हूँ उनसे

फिर भी
कहीं अधिक जीवित हूँ
अपने प्यार
अपनी निराशा से मैं।


मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी