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पानी / देवांशु पाल
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रास्ते में प्यास लगी
नगर निगम का नल बंद था
हॉटल का पानी गंदा था
पास का घर मुसलमान का था
मैं लौट आया प्यासा
घर में आकर माँ से कहा
ज़ल्दी से मुझे एक गिलास पानी दो
मेरा गला सूख रहा है
पानी का ग्लास देते हुए माँ ने पूछा-
क्या तुझे इतने बड़े शहर में एक ग्लास पानी नहीं मिला
मैं चुप था
कैसे कहता माँ से
कि पानी का रंग बदल गया है और स्वाद भी
बँट गया है पानी बर्तन लिबास और घरों में
कैसे कहता माँ से
कि स्कूल जाते बच्चों के कंधों पर
लटकती वाटर बॉटल पर लिखा होता है
बच्चों का अपना नाम