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टूटा हुआ सपना / मानिक बच्छावत
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बहुत से सपने टूटे हैं
क्या हुआ
एक सपना जो
मन में था
वह टूट गया
कोई बात नहीं
मन में गाँठ नहीं
कोई घात नहीं
कोई स्पर्धा नहीं
कोई साध नहीं
कभी जो सोचा था
वह साकार नहीं हुआ
कभी होता नहीं ऎसा
यह जानकर
पश्चाताप नहीं
पर
सपना अभी भी
आँखों में ज़िन्दा है
भीतर घुला हुआ है
मन में तैर रहा है
पुतलियों में छलक रहा है
उसे मैं मरने नहीं दूंगा
भीतर ही भीतर सहेजकर
पा लूंगा
सींचकर बड़ा करूंगा
इस तरह यह टूटा हुआ सपना
एक दिन
अवश्य खड़ा होगा
मेरी कल्पना से जुड़ा होगा
और तब
मनसूबे फल जाएंगे
इच्छाएँ रंग लाएंगी
और तब
सपना
साकार होगा
मेरे सामने खड़ा होगा!