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जब तुम्हें पता चलता / कैलाश वाजपेयी
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अगर तुम्हें गर्भ में पता चलता,
जिस घर में तुम होने वाले हो
नमाज़ नहीं पढ़ता
वहाँ कोई यज्ञ होम
कीर्तन नहीं होता
कोई नहीं जाता रविवार को
गिरिजाघर या ग्रंथपाठ में
अगर तुम्हें यह पता चलता
पेट के निदाघ और
पर्व के हिसाब से
अधेड़ बाप
कभी बनाता है
रंगीन काग़ज़ के ताजिए
ईसा का तारा
कभी दुर्गा गणेश
कभी ऊँचाई को थाहते
सिर्फ़ आकाशदीप
नीले हरे जोगिया
अगर तुम्हें यह पता चलता
तब तुम क्या करते
क्या माँ बदलते?