भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्रूर जीवन का दृश्य / आरागों

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:24, 15 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लुई आरागों }} <poem> लुई दल्युक के लिए मुझ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


                           लुई दल्युक के लिए

मुझे लगता है कि वह मुझे भूल गई होगी
पागलपन में
इंतज़ार है कि वह बाँधेगी मुझे अपनी ख़ुशी से
आलिंगन में
अगर धोखा दिया उसने मुझे
हाँ-हाँ धोखा
किसी मूरत सी सुन्दर क्यों न हो वह
मैं उसे मार ही न डालूँ।



ले देस्तीने द ला पोयज़ी(1925-1926)से

मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी