भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एल्सा (प्रेम कविता) / आरागों

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:04, 15 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लुई आरागों }} <poem> मैं बड़े राज की बात तुम्हें बता...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मैं बड़े राज की बात तुम्हें बताता हूँ समय तुम हो
समय औरत है उसे
ज़रूरत है कि कोई उसे प्रेम करे कि कोई बैठे
उसके पावों के पास समय जैसे घाघरा जो उतारा जाए
समय उलझे हुए बालों की तरह
एक आईना जो धुँधलाता है कभी-कभी दिखलाता है साफ़-साफ़
समय तुम हो जो सोती हो उस सुबह जब जागता हूँ मैं

मेरे गले के पार उतरते खंजर सी वह तुम हो
आह,
बतला नहीं सकता समय का घूमना जो नहीं पहुँचता कहीं भी
यह रुके हुए समय का घूमना जैसे नीली शिराओं में रक्त
और सतत् अतृप्त उस इच्छा से भी बुरा है यह
निगाह की उस प्यास से भी जब तू चलती है कमरे में
और मैं जानता हूँ कि आनन्द को भंग नही करना चाहिए
भले ही बुरा हो तुझे महसूस करने से अजनबी
भागती हुई
दिमाग कहीं और दिल किसी और ही दुनिया में
हे भगवान कितने भारी हैं शब्द और इसका अर्थ है यही
मेरा प्यार आनन्द से कहीं ऊपर
मेरा प्यार बाहर है आज आक्रमण की सीमा के
तू धड़कती है मेरी समय की घड़ी में
और तू अगर नहीं लेती सांस तो घुटता है मेरा दम
और मेरे बदन पर झिझकते हैं और ठहरते हैं तेरे पाँव
मैं बड़े राज की बात तुम्हें बताता हूँ सब शब्द
मेरे होंठो पर दिखते हैं उस ग़रीबी से झूठ बोलती है जो
तेरे हाथों के लिए एक दुख वह जो काला पड़ जाता है तेरी निगाह तले
और इसीलिए मैं कहता हूँ अक्सर कि प्यार करता हूँ मैं तुम्हें
एक वाक्य के बहुत साफ़ स्फ़टिक की ग़लती जो तुम अपने गले में सहेजोगी
अपमान नहीं करेगा तेरा मुझसे इस तरह बदजुबानी करना वह
साफ़ पानी है जो आग में करता है बेमेल शोर

मैं तुझे बड़े राज की बात बताता हूँ कि मैं नहीं जानता
उस समय के बारे में बातें करना जो लगता है तुझ जैसा
नहीं जानता मैं तेरे बारे में बातें करना लगता हूँ मैं
उन जैसा जो देर तलक करते हैं प्रतीक्षा स्टेशन पर पंक्ति में खड़े-खड़े
और हिलाते हैं हाथ जब निकल जाती हैं गाड़ियाँ
और बाँहें झुक जाती हैं ऑंसुओं के नये भार से

मैं तुझे बड़े राज की बात बताता हूँ कि मुझे डर लगता है तुझसे
डर लगता है उससे जो तेरे साथ होता है शाम को खिड़की की ओर
जो इशारे तू करती है जो शब्द कोई नहीं कहता
डर है मुझे तेज़ और धीमे समय का डर है तुझसे
मैं तुझे बड़े राज की बात बताता हूँ बंद कर ले द्वार
बहुत आसान है मरना तुझे प्यार करने से
इसीलिए मैं स्वयं को देता हूँ जीवन जीने का दुख
मेरी प्रियतम


एल्सा (1959) से

मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी