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 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: फुटपाथ बिछौने हैं
  रचनाकार: ब्रजमोहन

अपने नीचे सड़कों के फुटपाथ बिछौने हैं 

कोई खिलौना मांग न बेटे! हम ही खिलौने हैं 


कच्चे-पक्के, टूटे-फूटे 
मन-सा घर का सपना 
सपनों की दुनिया में ही तो 
जीता है सुख अपना 

उजड़े हुए चमन में ही तो सपने बोने हैं 


दुख के झूले पर जीवन की 
लम्बी पींग बढ़ाना 
पत्ता-पत्ता नींद से जागे 
ऎसे पेड़ हिलाना 

हार न जाना, छाँव-फूल-फल अपने होने हैं