Last modified on 23 मार्च 2009, at 17:48

मृत्यु-5 / शुभाशीष चक्रवर्ती

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 23 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभाशीष चक्रवर्ती |संग्रह= }} <Poem> शाम का भय फैल रहा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शाम का भय फैल रहा है
अकेले कमरे से
मैं भाग रहा हू‘ं
सूर्य का प्रकाश
उस छोर तक पहुँचकर
लौट रहा है
संयम शरीर छोड़ रहा है
तुम फिर याद आ रही हो