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मशाल / राकेश भारतीय

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उसे नहीं याद रहते
अपने दोस्तों की बीवियों के नाम
पर कभी नहीं भूलता वह
उनके छोटे छोटे बच्चों के नाम
उनकी चिड़िया जितनी प्यारी बातें
और खरगोश जितनी चालाक शरारतें

उसे कोई दिलचस्पी नहीं
चढ़ रहे शेयरों के भाव में
पर कठिन रोपनी के बाद
धान से किसान को क्या मिला
और बााार में चावल कितने का बिका
सोच कर बेचैन हो उठता है वह

कभी नहीं दिखता है वह
दावतों और कहकहों के आसपास
पर बार बार दिखता है
किसी बीमार की खाट के सिरहाने
किसी परेशान की परेशानी में साथ
और किसी बेरोजगार की उदासी से उदास

पर पता नहीं क्यों कुछ लोग
इतना डर गये हैं उससे कि
उसके पास खड़े हो जाने से
बोलती बंद हो जाती है उनकी
उसके बोलना शुरु करते ही
टांगें थरथराने लगती हैं उनकी
और उसके चिल्ला पड़ने पर
दहल जाते हैं सब के सब