भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कत्ल इन्होंने करवाए हैं / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:11, 26 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem> क...)
क़त्ल इन्होंने करवाए हैं
गीत अहिंसा के गाये हैं
सारे मोती चुने इन्होंने
हमने तो आँसू पाए हैं
दोपहरी इनकी रखेल है
अपने तो साथी साए हैं
जल्लादों ने प्रह्लादों को
विष के प्याले भिजवाए हैं
अश्वमेध वालों से कह दो
अब की तो लव - कुश आए हैं
नयनों में लौ-लपट झूमती
मुट्ठी में ज्वाला लाए हैं