भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम सब / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:08, 26 अप्रैल 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम सब जहाँ से होते हुए जायेंगे
वहाँ कुछ देर अपनी गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।

हम जहाँ-जहाँ जायेंगे
गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।