भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
Kavita Kosh से
Bohra.sankalp (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 3 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश' }} Category:ग़ज़ल यार को मैं न...)
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
रात भर तालि'-ए-बेदार ने सोने न दिया
एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया
रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया