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बेटी की कविता-2 / नरेश चंद्रकर
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"पापा! यह आधा चांद कहाँ चला गया?"
तीज के चांद पर
नज़र टिकाए कहती है वह
जवाब भी है उसके पास
"आधा चांद घर पर है
सो रहा है बादलों में अपने घर!"