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वास्ता / नरेश चंद्रकर

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तितलियों को हत्यारों से क्या वास्ता
उनका उड़ना तो कवि देखते हैं
या लड़के जो
अभी नागरिक नहीं बने हैं

इसलिए तितलियाँ भी
ख़ून देखनेवालों की आँखों से दूर

बेचारी नादान तितलियाँ

जब वास्ता पड़ेगा
तब वे क्या
फूल तक कहाँ बचेंगे!!