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कब तक यूँ अपने आप से / विजय वाते

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कब तक यूँ अपने आप से बातें किया करें।
हर रोज़ एक ख़त लिखें फोर राखी दिया करें।

हमको हमारे प्यार के बदले में कुछ न दे,
लेकिन ये आरज़ू है कि दिल रख लिया करें।

दुनिया के सब उसूल बनाए हमीं ने हैं,
ये भी कोई वजह है जिसे दरमियां करें।

ये डर, झिझक, लिहाज़, सभी ठीक हैं मगर,
कुछ हम में सुन भी लीजिए, कुछ कह लिया करें।

यह तो किसी किताब में हमने नहीं पढ़ा,
घबराएँ ज़िन्दगी से तो लब सी लिया करें।