भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुर्ख़ी पाउडर इत्र है भाई / प्रेम भारद्वाज

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:38, 15 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेम भारद्वाज |संग्रह= अपनी ज़मीन से }} [[Category:ग़ज़...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुर्ख़ी ,पाउडर इत्र है भाई
मुद्रा पुंय पवित्र है भाई

रोना धोना हँसना फँसना
दुनिया तो चलचित्र है भाई

करता घटनाक्रम निर्धारित
दुश्मन है या मित्र है भाई

मूक-बघिर है आम आदमी
जैसे भित्ति-चित्र है भाई

कमज़ोरी दशरथ की लेकिन
चर्चित त्रिया चरित्र है भाई

बोली के भी ढँग सिखलाता
नानी को दौहित्र है भाई

जीतें राम तभी जो विभीषण
हनुमत साथ सौमित्र है भाई

इसको आपदकाल परखना
पूरी बस्ती मित्र है भाई

अवसरवादी लोगों से भी
करना प्रेम, विचित्र है भाई