भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम लेटती हो हमेशा / येहूदा आमिखाई
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:28, 16 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=येहूदा आमिखाई |संग्रह= }} Category:यहूदी भाषा <poem> तु...)
|
तुम लेटती हो हमेशा
आँखों में मेरी।
हमारी इकट्ठी ज़िन्दगी का प्रत्येक दिन
उपदेशक मिटाता है अपनी पुस्तक की एक पंक्ति।
भीषण मुसीबतमें हम साक्षी हैं
सभी को परास्त करके रहेंगे हम।
हिब्रू से असीया गुटमन के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर रमण सिन्हा द्वारा हिन्दी में भाषान्तर