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आ लिए गर जनाब ख़्वाबों में / प्रेम भारद्वाज

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देख लेंगे हिसाब ख़्वाबों में
आ लिए गर जनाब ख़्वाबों में

रूबरू तो ज़बान पर ताले
और हैं इंकिलाब<ref>क्रांति </ref> ख़्वाबों में

सीप-सी आँख में ढला मोती
हो गया आफ़ताब<ref>सूर्य </ref> ख़्वाबों में

देख में आज भी करोड़ों को
तख़्ती, बस्ता, किताब, ख़्वाबों में

ख़ुश्क रोटी नमक मुक़द्दर है
मुर्ग़ क़ीमा कबाब ख़्वाबों में

देखें क्या फ़ैज़<ref>लाभ,फल</ref>हमको मिलता है
आए आली-जनाब ख़्वाबों में

जूझना है मज़ीद<ref>और भी</ref>ख़ारों से
आ रहे हैं गुलाब ख़्वाबों में

जोत<ref>दर्रा,पास</ref> पगडंडियाँ पहाड़ों की
कहकशाँ<ref>आकाशगंग</ref>,माहताब<ref>चाँद</ref> ख़्वाबों में

तेरी धुन में कहाँ-कहाँ पहुँचे
हमने देखे हैं ख़्वाब ख़्वाबों में

अच्छे ख़्वाबों में तुमको पाया है
और खोया ख़राब ख़्वाबों में

सरहदों पर तनाव जाँलेवा
प्रेम, सोहणी<ref> पंजाब की एक प्रेम कथा की नायिका</ref>, चनाब ख़्वाबों में

शब्दार्थ
<references/>