स्थगित होते हुए हम / विजय गौड़
उम्र के नपे-तुले
बचे हुए दिनों में
स्थगित हो जाने से पहले
रायपुर पोस्ट आफ़िस का
बूढ़ा क्लर्क,
बीड़ी का सुट्टा मार सकने की भी
फुर्सत बची नहीं है जिसके पास
मक्कार दुनिया के
सबसे मक्कार यंत्र के झरोखे पर
मिचमिची आँखों से
बड़ी मुश्किलों से पढ़ते हुए
उस कॉलम की इबारत को
जिसमें भरा जाना है आवश्यक विवरण
लम्बी लगी लाईन को कैसे समझाये
कि एक प्रोग्राम से निकलकर
दूसरे में जाने के लिए भी
लगता है वक़्त-
किसी को रजिस्ट्री करानी है
किसी को जमा कराना है टेलीफ़ोन का बिल
सबसे पीछे वाला व्यक्ति
जिसे बिजली का बिल जमा कराना है
आगे वाले से पूछता है
लाईन क्यों नहीं खिसक रही है भाई
और झल्लाहट में दिए गए जवाब के साथ
भरता है हामी,
इन बूढ़े खूसटों को तो
कर ही देना चाहिए रिटायर अब।