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तीन शे’र / अली सरदार जाफ़री
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तीन शे’र
तेरी दिलबरी का तुह्फ़ः, ये सितार:बार आँखें
मए-शौक़ से छलकती ख़ुशो-पुरख़ुमार आँखें
मिरे दिल पे साया-अफ़गन, मिरी रूहो-जाँ में रौशन
ये फ़रिशतःगौर ज़ुल्फ़ें, ये खुदा-शिकार आँखें
रहे ता-अबद<ref>सृष्टि के अंत तक</ref> सलामत, ये दिलो-नज़र की जन्नत
ये सदाबहार पैकर, ये सदाबहार आँखें
शब्दार्थ
<references/>