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अभियान / श्याम किशोर
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मैदान साफ़ है
आगे बढ़ो
उसने आख़िरी तिनका
तोड़ते हुए कहा ।
मैदान कभी साफ़ नहीं होता
अगर वह मैदान है
मैंने उस कोने की ओर
इशारा करते हुए कहा
जहाँ नए सिरे से
घास जमना शुरू हो गई थी
और फिर से
मैदान साफ़ करने में जुट गया ।