भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अपने जन्मदिन पर-2 / प्रेमचन्द गांधी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:07, 31 मई 2009 का अवतरण
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
बढ़ती जा रही है बालों मे सफे़दी
कम होते जा रहे हैं आकर्षण
स्मृति से लुप्त होते जा रहे हैं
सहपाठियों के नाम और चेहरे
संघर्ष भरे दिन
आज भी दहला देते हैं दिल
शायद अब न लड़ सकूँ पहले की तरह