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सरकै अँग अँग अबै गति सी / तोष

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सरकै अँग अँग अबै गति सी मिसि की रिसकी सिसकी भरती ।

करि हूँ हूँ हहा हमसो हरिसो कै कका की सोँ मो करको धरती ।

मुख नाक सिकोरि सिकोरति भौँहनि तोष तबै चित को हरती ।

चुरिया पहिरावत पेखिये लाल तौ बाल निहाल हमै करती ।


तोष का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।