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बैर प्रीति करिबे की मन में न राखै सँक / ठाकुर

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बैर प्रीति करिबे की मँन मेँ न राखै सँक

राजा राव देखि कै न छाती धक धाकरी ।
आपनी उमँग की निबाहिबे की चाह जिन्हेँ

एक सोँ दिखात तिन्हेँ बाघ और बाकरी ।
ठाकुर कहत मैँ बिचार कै बिचार देखौ

यहै मरदानन की टेक बात आकरी ।
गही जौन गही जौन छोरी तौन छोर दई

करी तौन करी बात नाकरी सो नाकरी ॥


ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।