भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंबर बीच पयोधर देखिकै / भँजन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:24, 6 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भँजन }} <poem> अंबर बीच पयोधर देखिकै कौन को धीरज सोँ ...)
अंबर बीच पयोधर देखिकै कौन को धीरज सोँ न गयो है ।
भँजनजू नदिया यह रूप की नाव नहीँ रविहू अथयो है ।
पँथिक राति बसौ यहि देस भलो तुमको उपदेस दयो है ।
या मग बीच लगै वह नीच जु पावक मे जरि प्रेत भयो है ।
भँजन का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।