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मेरे आसमान में / रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

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कौन देखता है जागकर दुनिया
देखकर कौन रोता है

मेरे आसमां में कौन रहता है
मेरे आसमाँ में कौन रोता है

धरती की चादर गीली होती है
ये किसके आँसू बरसते हैं

कौन आँसुओं में भीगता है
किसकी आँखों में झिलमिलाती है रात

रात को कौन देखता है दुनिया
देखकर कौन रोता है