भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ / मीराबाई
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:14, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ॥ध्रु...)
मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ॥ध्रु०॥
कीया कीजो प्रसन्न दिजावे।
खबर लीजो आये तुम साधनमें तुम संतनसे।
तुम गउवनके रखवाल॥२॥
आपन जाय दुवारकामें हामकू देई विसार॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलहार॥४॥