बात क्या कहूं नागरनटकी। नागर नटकी नागर०॥ध्रु०॥
हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन। छीन लीई मोरी दधीकी मटकी॥१॥
मोर मुकूट पीतांबर शोभे। अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। प्रीत लगी उस मुरलीधरकी॥३॥
बात क्या कहूं नागरनटकी। नागर नटकी नागर०॥ध्रु०॥
हूं दधी बेचत जात ब्रिंदावन। छीन लीई मोरी दधीकी मटकी॥१॥
मोर मुकूट पीतांबर शोभे। अती शोभा उस कौस्तुभ मनकी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। प्रीत लगी उस मुरलीधरकी॥३॥