भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शाम मुरली बजाई कुंजनमों / मीराबाई
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:21, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥ रा...)
शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥
रामकली गुजरी गांधारी। लाल बिलावल भयरोमों॥१॥
मुरली सुनत मोरी सुदबुद खोई। भूल पडी घरदारोमों॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वारी जाऊं तोरो चरननमों॥३॥