भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हरी सखी देख्योरी नंद किशोर / मीराबाई
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:22, 22 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> हरी सखी देख्योरी नंद किशोर॥ध्रु०॥ ...)
हरी सखी देख्योरी नंद किशोर॥ध्रु०॥
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल। पीतांबर झलक हरोल॥१॥
ग्वाल बाल सब संग जुलीने। गोवर्धनकी और॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरि भये माखन चोर॥३॥