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भटकणू छौं स्वर्ग मां (खुदेड़ गीत) / गढ़वाली

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मूल रचयिता- नरेन्द्र सिंह नेगी


भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां... पौंछी ग्यौं परदेस मां...

ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां... पौंछी ग्यौं परदेस मां...

बीड़ छौ मैं पर्बतूं जांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी ... अब नि औंदिन गौं बटी...

कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी... अब नि औंदिन गौं बटी...

मेरु बि हक छौ यूं फरैं बांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...

डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...

रीति सूनी तिबार्यूं मां नातू खोज्याणू रौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..

भटकणू छौं स्वर्ग मां...


कविताकोष योगदान-- पूजन नेगी

--Poojan Negi १९:२०, २३ जून २००९ (UTC)