भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द / कर्म / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:33, 24 जून 2009 का अवतरण (शब्द/कर्म / गिरिधर राठी का नाम बदलकर शब्द/कर्म / गिरधर राठी कर दिया गया है)
वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल :
किस ने दिया तुम्हें हक़?
किस ने?
किस ने? !!!
हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल
...
शब्द थे
हैं
होंगे हमारे सवाल
भरे-पूरे, कटख़ने तीते
तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के
शब्द
लेकिन निरे शब्द
तने कसे रुंधे मुक्त शब्द
शब्दहीन हो कर भी
शब्द
निपट शब्द...